रंग हीं नहीं रंगहीन है फिर भी रंग है। रंग हीं नहीं रंगहीन है फिर भी रंग है।
तब कहीं जाके कितने मकबरों पर एक शहंशाह अपने अहं के महल की नींव रख पाता है। तब कहीं जाके कितने मकबरों पर एक शहंशाह अपने अहं के महल की नींव रख पाता है।
आज भी सहसा झुक जाता शीश है ऐसा वो भविष्य निर्माता था। आज भी सहसा झुक जाता शीश है ऐसा वो भविष्य निर्माता था।
काला रंग को आमतौर पे सदा अशुभ माना, तभी तो शुभ कार्यों में भी प्रयोग कम करना। काला रंग को आमतौर पे सदा अशुभ माना, तभी तो शुभ कार्यों में भी प्रयोग कम करना...
कितना भी बड़ा हो जाऊं पर मां मैं आज भी तेरा बच्चा हूँ। कितना भी बड़ा हो जाऊं पर मां मैं आज भी तेरा बच्चा हूँ।
तेरे नाम की वो चिठ्ठी तुझे दे ना पाई। तेरे नाम की वो चिठ्ठी तुझे दे ना पाई।